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Kishan Negi

Romance Tragedy Fantasy

4.5  

Kishan Negi

Romance Tragedy Fantasy

दर्द भरे अल्फाज़

दर्द भरे अल्फाज़

1 min
372


सब कुछ कहो मगर भूल कर भी 

ये मत कहना कि भूल जाऊँ उसको 

जिसकी हर अमिट याद को दी है पनाह

अपनी पलकों की शीतल छांव में

जिसके एहसासों को बसाया है

अपने दिल के महकते उपवन में

और तुम कहते हो कि भूल जाऊँ उसे 

छोड़ दो बेशक साथ मेरा

ये दर्द भी सह लूंगी

रिश्तों के रेशमी धागों से

बना है जो सेतु हमारे दरमियान

तुम चाहो तो तोड़ दो, किसने रोका है तुमको

मगर ये जुर्म मुझसे न होगा 

खुद को भूल कर उसे भूल जाऊँ

चाहा है जिसे ज़िन्दगी से भी ज्यादा

ये गुनाह भला कैसे कर सकती हूँ मैं 

मुझे भूल कर नई दुनिया बसा लो 

ये हक़ आज भी है तुम्हारा 

मगर मैं भूल जाऊँ 

अतीत के उन मधुर लम्हों को

जो बहती हैं मेरे कण-कण में

ये हक़ मैंने ख़ुद को भी दिया नहीं कभी 

बस फिलहाल इतना ही कहना था 

दर्द भरे अल्फाज़ तो और भी थे 

इस ख़त में लिखने के लिए

मगर क्या करूं

अगर समझ सको तो यही काफ़ी है

मेरे हाल को समझने के लिए 

 



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