मित्र–हाल
मित्र–हाल
मित्र ! हाल कैसा है?
तकलीफ हो ना हो
अपना हाल जरूर कहना
कुछ ना समझ आए तो
कह देना कि ’तुम हो तो मैं निहाल हूं’
अच्छा, अच्छा, झगड़ों मत
मैं ही कह देता हूं कि
’तुम हो तो मैं निहाल हूं ’
देखो! तुमको मेरी कसम जो तुमने
कोई घाव छुपाया या दर्द दबाया
या चुप्पी साधा,
माना कि मैं तेरे कष्ट उधार ना ले पाऊंगा
और पक्का तुम मुझे दोगे भी नहीं
लेकिन यार, साथ बैठेंगे तो यह तय है कि
आंसू बह नहीं पाएंगे,
दर्द बढ़ नहीं पाएंगे और
घाव कभी नासूर नहीं बन पाएंगे
क्योंकि यह तुम भी जानते हो और
मैं भी कि मित्रता के बंधन में
कोई बंधन नहीं होता,
किसी लाज लिहाज या
मान अभिमान का पर्दा नहीं होता,
पहले तुम, पहले तुम की औपचारिकता नहीं होती ,
बस भी करो,
अब और दोस्ती पर बखान मत करवाओ,
और ना ही जबरदस्ती प्रौढ़ बनने का नाटक करो,
चल छोड़ , यार! अब मेरी बाजू मोड़ या
पीठ पर दो मुक्का जमा या
फोन पर बाल्टी भर गाली सुना
जो कर, जैसे कर, बस अपना मन अकेला मत रख,
मुझे भी वहां अपने साथ-साथ बिठा ले,
सुन रहा है कि नहीं ,
अब रुला के छोड़ेगा क्या,
आ ! व्हाट्सएप पर ही गले लग जा,
जहां से दूरियां बढ़ी है ,
वहीं से फिर नजदीकियां जोड़ ले।
वर्चुअल दुनिया के चाहे कितने हजार मित्र सूची बना ले
बचपन के टिफिन की झपटा झपटी
एक कोल्ड ड्रिंक में दो स्ट्रा से प्यास बुझाना,
एक डोसे से दो भूख को मिटाना
चाय पी के छुट्टा ना होने का बहाना बनाना
अपनेपन की यह गर्माहट, भरोसे की यह बुनावट
भला क्या किसी नेट पैक या मेगा सेल में मिलेगी?
करीब से करीबतम का यह रिश्ता है
मेरे शब्द विन्यास पर मत जाओ
भाव समझो, गहन से गहनतम का यह नाता है
आओ मित्र! एक दूसरे से आज हम
यह वायदा कर लें कि
मित्र हाल लेते रहेंगे
मित्र हाल देते रहेंगे
मित्र हाल कभी नहीं भूलेंगे
मित्र हाल कभी नहीं छोड़ेंगे
मित्र हाल कभी बेहाल न हो
इस कदर मित्र ताल को
मालामाल कर देंगे।
