क्या तुम सच में आज़ाद हो?
क्या तुम सच में आज़ाद हो?
क्या नहीं किया तुमने कभी,
लड़का, लड़की या अन्य लिंग में भेद भाव,
क्या तुम्हारी मानसिकता के कारण,
ना हुआ किसी को भी तनाव,
लैंगिक भेद भाव के पिंजरे में,
क्या तुम नहीं बर्बाद हो,
ए मानव मुझे बताओ,
क्या तुम सच में आज़ाद हो?
क्या रिश्वत लेकर या देकर,
धन या मान तुमने कभी ना पाया,
किसी और की मेहनत का फल,
क्या तुमने कभी ना खाया,
भ्रष्टाचार के पिंजरे में,
क्या तुम नहीं बर्बाद हो,
ए मानव मुझे बताओ,
क्या तुम सच में आज़ाद हो?
क्या तुमने कभी ना पूछी,
किसी से उसकी जाति या परिवार,
क्या तुमने किया है केवल,
इंसानों के मन से प्यार,
जातिवाद के पिंजरे में,
क्या तुम नहीं बर्बाद हो,
ए मानव मुझे बताओ,
क्या तुम सच में आज़ाद हो?
क्या आजादी का मतलब,
सिर्फ अंग्रेजों का भारत छोड़ जाना था,
या सबकी बराबर खुशियाँ, सबको बराबर आजादी,
इस सोच को अपनाना था?
तुम आज भी स्वार्थी होकर,
रूढ़िवाद में बर्बाद हो,
ए मानव इस सच को मानो,
तुम नहीं आज़ाद हो,
तुम नहीं आज़ाद हो।
