सोच
सोच
आज कुछ बुरा होगा
क्यों कि बिल्ली ने रास्ता काटा है
जब बात सामाजिक सोच की हो
तो लॉजिक कौन लगाता है?
गलत धारना को तोड़ने में करते
हम आज भी संकोच हैं
कहते हैं मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
लड़की साडी पहन रोई है
तो लड़के की ही होगी गलती
कपडे जो छोटे हुए लड़की के
तो पाओगे तुम सोच बदलती।
पहनावे को आंक के
न्याय को दे रहे मोच है
कहते है मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
मेंसुरेशन के वक़्त आचार छुआ
तो आचार खराब हो जाएगा
आखिर सोच से ही तो फ्रेश रहेगा आचार
प्रेज़रवेटिव थोड़ी काम आएगा ?
रूढ़िवाद का पालन करके
समानता को दे रहे मोच है
कहते है मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
लड़का लड़के से और लड़की लड़की से
कैसे कर सकते है प्यार ?
ज्ञान देने के लिए तन को नहीं मन को देखो
लेकिन सोच से ही करना प्यार।
भावनाये नहीं , धारनाये ही सर्वोच्च है
कहते है मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
चलो नारा लगाए "जय जवान जय किसान !"
पर जब बात पैसो की हो
तो भूल जाए
वो भी है इंसान
हक़ के लिए लड़ते वक़्त नहीं
सिर्फ अनाज मांगते वक़्त करना उन्हें Approach है ,
कहते है मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
(लड़की का) मेरा कमाना जरुरी क्यों है ,
मेरा जीवन तो चल जाएगा यूँ ही।
पैसो और इज़्ज़त की जरुरत तो सिर्फ लड़को को है
क्यों की पापा की पारी तो मैं हु ही।
बहार के काम के लिए परी ,
घर के काम के लिए नारी ही कोच है।
कहते है मान लो
क्यों कि यही समाज की सोच है।
क्यों कि यही समाज की सोच है।
क्यों कि यही समाज की सोच है।
क्यों कि यही समाज की सोच है। ...
