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Vishakha Singh

Inspirational

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Vishakha Singh

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एक नयी उम्मीद जगा सकते हो

एक नयी उम्मीद जगा सकते हो

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यूं आँख में आसु क्यों है? 

यूं हाथ में चाकू क्यों है? 

माँ ने कहा था खुश तुम रहो, 

फिर मन तुम्हारा बेकाबू क्यों है? 

 

इस कविता को सुनकर कहोगे मुझे, 

तुम्हे समझ नही आएगा, 

समझ तभी पाओगी तुम, 

जब दुःख तुम्हे सताएगा । 

 

अरे! दुःख का तो काम ही है सताना, 

क्या दुःख तुम्हे हँसाएगा? 

मरने से पहले इतना तो सोचो, 

तुम्हारा ऐसा करना, तुम्हारे अपनो को कितना रुलाएगा । 

 

चार साल संघर्ष किया , 

नही पाया मैंने मुकाम। 

इस जलन मे क्या अपनो की, 

मेहनत करोगे तुम नाकाम? 

 

बचपन से चाहा था जिसे , 

खो दिया है आज उसे, 

जीने की तमन्ना नही, 

बस मरने की है दुआ, 

नही समझ पाओगी तुम, 

शायद प्यार तुम्हे कभी ना हुआ । 

 

ये कैसी नादानी है, 

क्या तुम नही हो जानते? 

तुम्हारी जिंदगी पे हक़ उनका नही जिन्हें तुम चाहते हो, 

हक़ तो बस उनका है जो खुदा तुम्हे है मानते । 

 

 क्या करूँ मैं जीकर? 

खो चुका हूँ अभिमान। 

अरे! एक स्वाभिमानी इंसान की हत्या कर, 

क्या पा लोगे इस सामाज में सम्मान? 

 

 तुम नहीं हो जानती , 

मुझसा कोई अभागा नहीं। 

अरे इस घड़ी तो सच बोलो, 

माना कि खुशियाँ तुम्हारी लाखों से कम हैं, 

पर क्या करोड़ो से ज्यादा नहीं? 

 

जान है तो जहान है, 

और इस जहान में ही जान है। 

चलो मान लिया होता है "आफ्टर लाइफ वर्ल्ड" कुछ,

पर किसी की जान लेकर स्वर्ग तुम जाओगे नहीं, 

और नर्क की प्रताड़ना सह पाओगे नहीं। 

 

ज़हर पीने की, नस काटने की हिम्मत अगर जुटा सकते हो, 

तो फिर हार को भी अपना सकते हो, 

खोये हुए प्यार को भुला सकते हो, 

खुद को थोड़ा रुला सकते हो, 

 

एक नया मकसद बना सकते हो, 

एक नया प्यार पा सकते हो, 

अपने जीवन में फिर एक बार, 

एक नयी उम्मीद जगा सकते हो। 

एक नयी उम्मीद जगा सकते हो। 

एक नयी उम्मीद जगा सकते हो।


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