अनमोल खजाना
अनमोल खजाना


शिक्षा अशेष जग का, अनमोल है खजाना।
कल्याण साध अपना, है भाग्य को जगाना ।
पाने इसे सदा ही, दमखम निजी लगा ले ।
दुर्भाग्य को हटा ले, सौभाग्य को जगा ले ।।१।।
कांक्षा समस्त पूरी, शिक्षा करे हमारी।
मानुष हमें बनाती, इसका बनो पुजारी।
भाई न बाँट सकते, राजा न छीन सकता।
ऐसा अमूल्य धन वो, बोझा न रूप होता ||२||
क्या-क्या न सिद्ध करती, विद्या महान होती।
विद्या सभी सुखों का, एकैव मूल होती ।
विद्वान को बुलाते , सम्मान लोग देते ।
राजा महान होते, वे भी उसे सजाते ||३||
पा लो अमूल्य धन को, ऐसा धनी बनो जी ।
दे दो अशेष अपना, तो भी धनी रहो जी ।
काया धरो सुयश से, सारे जहां बिखेरो ।
आलोक में इसी के, आभा नई उकेरो||४||