तेल नहीं था, तम का साया, उस घर में ही रोशन छाया, जल गया वह दीपक, जो जल न पाता था। तेल नहीं था, तम का साया, उस घर में ही रोशन छाया, जल गया वह दीपक, जो जल न पाता...
जो कभी ना तेरी थी और ना कभी मेरी ! जो कभी ना तेरी थी और ना कभी मेरी !
तब तक किये जाता हूँ जब तक खुद को, पहचान नहीं लेता हूँ। तब तक किये जाता हूँ जब तक खुद को, पहचान नहीं लेता हूँ।
दुनिया ओछी है, अति मलिन, मेरे बेटे पर तुम बना सकते हो उसे बेहतर। दुनिया ओछी है, अति मलिन, मेरे बेटे पर तुम बना सकते हो उसे बेहतर।
चाँद की रौशनी चाँद की रौशनी
क्या कभी-कभार कोई अंधेरा उसी समय रोशनी भी होता है ? क्या कभी-कभार कोई अंधेरा उसी समय रोशनी भी होता है ?