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Kishan Negi

Romance Fantasy

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Kishan Negi

Romance Fantasy

बस तुम चले आओ

बस तुम चले आओ

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निकाल कर चुटकी भर फुरसत

चले आओ आज की रात मेरी हवेली पर

किए हैं बेशुमार इंतज़ाम 

तुम्हारे हर ग़म की खातिर

तुम बस चले आओ रात ढलने से पहले

सुबह को भी ख़बर न हो कि

आया था कोई मोहब्बत की चौखट पर

अपने दर्द दफनाने को

अकेले आना, बीते लम्हों का कारवां साथ न हो 

तुम्हारे आने की आहट मेरे कानों के सिवा 

कोई और न सुने, तुम्हारा साया भी नहीं

बस तुम चले आना

अंधेरी रात की संकरी पगडंडियों में

आशाओं के कुछ दीये जलाकर रक्खे हैं

जो बताएंगे मेरी हवेली का पता 

आज की ये हसीन रात

सिर्फ हमारे मिलन की रात होगी

अपने रसीले अधरों से आज 

भर भर प्याले पिलाऊंगी अपने हमसफर को

मेरी जुल्फों को सुलझाकर

अपनी हर शिकायत अपने अधरों से

मेरे मखमली गालों पर तुम लिख देना

कशिश की चिंगारी जो भड़की है अभी अभी

अपनी ठण्डी आहों से शान्त कर देना

बस तुम चले आओ

अतीत के रुठे पन्नों को पलटने

 



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