उपदेश- हज़रत मुहम्मद साहब
उपदेश- हज़रत मुहम्मद साहब
आओ हम सब उन अमूल्य उपदेशों पर, मन लगाकर गौर फरमाते हैं।
जो है एक महान सूफी संत, जो "हज़रत मुहम्मद साहब" कहलाते हैं।।
जो संसारी वासनाओं को ही, सब कुछ समझ बैठता है।
इबादत ना उसकी पूरी होगी,, अल्लाह से दूर हो जाता है।।
सुबह-शाम जो बन्दा, उस मालिक को याद करता है।
तमाम बुराइयाँ दिल से मिट जातीं, खुदा का नेक बन्दा कहलाता है।।
मत करो चाहत दुनियाँ की चीजों पर, जो केवल एक छलावा है।
प्रेम और दर्शन है असली दौलत, बाकी सब मिथ्या दिखावा है।।
जो दुनिया के हर काम-काज में, उसको ना भूला करते हैं।
मालिक उसको ही गले लगाते, मुसीबतों से बचाया करते हैं।।
पराई नारी पर गलत नजर मत डालो, जो सबसे बड़ा गुनाह है।
जो रहते सदा दूर खुदा से, न देते उसको कोई पनाह है।।
जो करते मान-सम्मान नारी का, सबसे बड़ी इबादत है।
दिल को सदा पाक-साफ रखना, खुदा करता उनसे मुहब्बत है।।
मन पर सदा तुम काबू रखना, यह बड़ा ही खुदगर्ज है।
नज़र इस पर गढ़ा कर रखो, इंसान का यही फर्ज है।।
गृहस्थी का खूब पालन करना, मालिक का तुम पर कर्ज है।
तल्लीन इसमें इतना मत हो जाना, दुखदाई यह मर्ज है।।
ग़र याद तुझे उसकी हर पल रहती, सबसे बड़ा तू भक्त है।
जो संसार में ही डूबा रहता, संकट में घिरा हर वक्त है।।
दु:ख के बादल तुम पर है छाते, खुदा की समझो इनायत है।
सब्र और रिज़ा से काम लेना, कर्मों का ही प्रायश्चित है।।
मत डर तू उन मर्जों से ,जो कुदरत ने तुझे बक्से हैं।
हर मर्ज की दवा उसने ही बनाई, रखता वो प्रेम सबसे है।।
भक्ति- मार्ग पर चलने वाले, दुनिया की ज़िल्लत सहते हैं।
ज़िल्लत से ही तरक्की है होती, उसी को हिम्मत कहते हैं।।
जो खुश रहता उसकी मर्जी पर, असली फकीरी उसकी है।
दुःख आने पर धैर्य न छोड़ता, खुदा की दौलत उसकी है।।
लाज़मी है सहनशीलता उनको रखना, जो खुदा को पाना चाहता है।
वह तो उसके दिल में ही रहता, जो उनकी मर्जी पर चलता है।।
नेक कमाई से भोजन कमाओ, जो सदा बरक्कत है देता।
बुरा है दूसरों से माँगना, मेहनत और मशक्कत जो कर लेता।।
बिना मिले जो भी आ जाये, उसे खुदा का प्रसाद समझो।
गृहस्थ में सभी जिम्मेदारियाँ वो देते, सवाल किया तो गुनाह समझो।।
उसको नफरत है बनावट से, गुमान कभी भाता नहीं।
जो भी जाता निष्कपट भाव से, खाली हाथ आता नहीं।।
मुरादे जिनकी पूरी होती, अल्लाह का शुक्र है समझो।
जिनकी मुरादें अधूरी रह जाती, खुदा की उस पर रहमत है समझो।।
बीमारी और मुसीबतों को जो गले लगाते, भेजी उसकी सौगात है।
उसके भाग्य में ही यह दौलत आती, जो उसकी भेजी इनायत है।।
चाहे जितने भी जप-तप कर लो, उसका मिलना न इतना आसान है।
जितनी मुसीबतें तुम सह लोगे, समझ लो पूरे होते तुम्हारे अरमान हैं।।
राज़ी व रिज़ा पर जो है रहते, असल उसकी यही इबादत है।
शिकायत जो उनसे हैं करते,जानो सबसे बुरी आदत है।।
एक बार इन उपदेशों पर,जो अमल हमेशा कर लेतें हैं।
खुदा का वही नेक बन्दा "नीरज", जो दामन उनका पकड़ लेतें हैं।।
