STORYMIRROR

SHALINI Gupta

Inspirational

4  

SHALINI Gupta

Inspirational

नारी जीवन मजबूर क्यों ?

नारी जीवन मजबूर क्यों ?

1 min
367

इक प्रश्न चिन्ह?मानवता पर,

ऐसी भी क्या मजबूरी है।

जन्म दिया जिसने जीवन,

जीवन जीना मजबूरी है।।


हर युग में छली गई नारी,

अपमान सहा प्रतिकार हुआ।

सबके छलने का रूप अलग था,

जीवन दुरूह दुश्वार हुआ।।


हर पग पग पर इस जग में,

 नारी की क्या मजबूरी है।

 रिश्तों में घुटना घुटते रहना,

फिर भी जीना बहुत जरूरी है।।


आजादी तो मिली मगर,

 भावों से ना आजाद हुए।

 पल पल बिखरे सपनों की खातिर,

क्यों हर पल हम बर्बाद हुए।।


बचपन बीता सुन सुन कर यह, 

घर नहीं है तेरा बेटा ये।

तू है वो पराया धन जिसपर,

दूजे का है अधिकार भरा।।


फिर भी वो नारी तपती है,

ममता का मूल सिखाती है।

रावण ने कभी छला उसको,

कभी कंस के द्वारा छली गई।


झांसी की रानी बन लड़ी थी वो,

अपनों के हाथों छली गई।।

ऐसी भी क्या मजबूरी है,

हर युग में नारी छली गई।


जब जनकनंदिनी सीता को,

इस क्रूर समाज ने ना छोड़ा।

फिर तू तो वो अबला है

जिसका इस समाज ने भ्रम तोड़ा,

ये पाखंडी समाज क्यों भूले है ये।


नारी ही अंबा मां गौरी है,

फिर अबला बनकर जीने की

यह परंपरा क्यों जरूरी है।

जब तक इस धरा पर द्रौपदी

जानकी को ठुकराया जाएगा,

हर युग एक रामायण लिखेगा,

महाभारत दोहराया जाएगा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational