मगर तुम तो ऐसा मत करो
मगर तुम तो ऐसा मत करो
मैं तो एक नास्तिक हूँ , मगर तुम तो ऐसा मत करो।
ऐसे कर्मों से अपने ईश्वर को, बदनाम ऐसे मत करो।।
मैं तो एक नास्तिक हूँ---------------------------।।
पीकर मदिरा क्यों ऐसे, माँ-बहिन की गाली देते हो।
करते हो पूजा ईश्वर की, दुराचारी बातें क्यों करते हो।।
कुछ तो करो शर्म ईश्वर की,अधर्म कर्म ऐसे मत करो।
ऐसे कर्मों से अपने ईश्वर को,बदनाम ऐसे मत करो।।
मैं तो एक नास्तिक हूँ-----------------------------।।
दुष्कर्म और चीरहरण तो, बदजुबान से भी होता है।
तुम्हारे कर्मों से जुल्म नारी पर, तुम्हारे घर में भी होता है।।
पर्दे में रखकर नारी को तुम,अन्याय-पाप यह मत करो।
ऐसे कर्मों से अपने
ईश्वर को, बदनाम ऐसे मत करो।।
मैं तो एक नास्तिक हूँ--------------------------------।।
औरों के जीवन की राहों में, कांटें मत बिछाओ ऐसे।
देखो अपना आईना, औरों की खुशी से नहीं जलो ऐसे।।
अपनी गन्दी राजनीति से, औरों को बर्बाद यूँ मत करो।
ऐसे कर्मों से अपने ईश्वर को, बदनाम ऐसे मत करो।।
मैं तो एक नास्तिक हूँ-----------------------------।।
मुहँ में राम,बगल में छुरी, रखना ऐसे छोड़ दो।
कंस - रावण की तरहां , मन को रखना छोड़ दो।।
देख रहा होगा ऊपरवाला, डरो उससे, ऐसे मत करो।
ऐसे कर्मों से अपने ईश्वर को, बदनाम ऐसे मत करो।।
मैं तो एक नास्तिक हूँ-------------------------------।।