कुछ करने की यदि चाह है तुमको तो मुलाक़ात होगी मंजिल से ।। कुछ करने की यदि चाह है तुमको तो मुलाक़ात होगी मंजिल से ।।
अधिकारों के साथ साथ हमें, रहे अपने कर्तव्यों का भी भान। अधिकारों के साथ साथ हमें, रहे अपने कर्तव्यों का भी भान।
कर्तव्यों से आजाद होकर, खुद के लिए जीना है, कर्तव्यों से आजाद होकर, खुद के लिए जीना है,
क्या अब बेटी होने का भी कोई जश्न मने है हर घर में? या ताने सुनती अब भी माँ है आँसू क्या अब बेटी होने का भी कोई जश्न मने है हर घर में? या ताने सुनती अब भी माँ...
कर्तव्य को कर्म मान कर पूजा उसकी करता है , गर्व उस पर किया जाता है कर्तव्य को कर्म मान कर पूजा उसकी करता है , गर्व उस पर किया जाता है
निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार। निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार।