बालविज्ञान ने असहज को सहज कर दिखाया है बालविज्ञान ने असहज को सहज कर दिखाया है
शिव ही बुद्धि शिव ही विवेक शिव ही क्रोध है। शिव ही बुद्धि शिव ही विवेक शिव ही क्रोध है।
अपने कर्तव्यों का भान कर निरंतर बह चली हूँ। अपने कर्तव्यों का भान कर निरंतर बह चली हूँ।
संपूर्णता है निरी मृगतृष्णा संपूर्णता है निरी मृगतृष्णा
अर्पित सब तुम्हें तुम भी भान कराओ । अब तो भवसागर सम पिय पार लगाओ। अर्पित सब तुम्हें तुम भी भान कराओ । अब तो भवसागर सम पिय पार लगाओ।
रणचंडी बनकर टूट पड़ो नारी मत इंतजार करो रणचंडी बनकर टूट पड़ो नारी मत इंतजार करो