गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न
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मापनी-
221 1221 1221 122
प्रिय राम हमारे प्रभु अब राह दिखाओ ।
तुम भी हमसे प्रेम करो आज जताओ ।।
अर्पित सब तुम्हें तुम भी भान कराओ ।
अब तो भवसागर सम पिय पार लगाओ।
रज रज बनैं अब...
माॅं
सिर्फ तुम
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