कटु-सत्य
कटु-सत्य
ओ ! मोहब्बत को करने वालों, क्या मोहब्बत को जाना है,
पास- पड़ोस दुखी लोगों में, क्या इसको पहचाना है,
जब तक नफरत तू इनसे करेगा, मोहब्बत नजर न आएगी।।
यह दुनिया है आत्म स्वार्थी, अपनों को ही संभाला है,
प्रेम- त्याग जिसने है बांटा, सबसे बड़ा वह दिल वाला है,
मिल-जुल कर जिसने रहना सीखा, हर खुशी उसे मिल जायेगी।।
पाप-पुण्य के चक्कर में पड़कर, क्यों इतना घबराता है,
भले-बुरे की खबर न तुझको, फिर भी इतना इठलाता है,
नेक राह पर जो चलना सीखे, खुदी नजर आ जाएगी।।
मोहब्बत बिन ये जीवन अधूरा, अधूरी है ये तेरी काया,
कर ले अब भी "नीरज" सफल जिंदगी, झूठी है ये तेरी माया,
समय चक्र कभी रुक न सकेगा, यह घड़ी फिर न आयेगी।।