आदमी शीशे से नहीं, उसकी बनी झूठी तस्वीरों से घबराता है आदमी शीशे से नहीं, उसकी बनी झूठी तस्वीरों से घबराता है
सच है वो एक दौर था अब तो नज़र आता नहीं ! सच है वो एक दौर था अब तो नज़र आता नहीं !
पाप-पुण्य के चक्कर में पड़कर, क्यों इतना घबराता है, पाप-पुण्य के चक्कर में पड़कर, क्यों इतना घबराता है,
संघर्ष के साथ ने व्यक्तित्व का निर्माण होता है, तब कहीं जाकर समाज में स्थान मिलता है, संघर्ष के साथ ने व्यक्तित्व का निर्माण होता है, तब कहीं जाकर समाज में स्थान म...
आंखों से दिल में उतारना सीख लिया है अब कोई गम नहीं...। आंखों से दिल में उतारना सीख लिया है अब कोई गम नहीं...।