दीदार
दीदार
तेरे प्रेम का इस कदर जादू हुआ मुझ पर।
अपनी नजरों से हर शै मैं तुझी को देखता हूं।।
तेरे नाम मात्र से जो बढ़ जाती हैं इस कदर धड़कनें।
हर धड़कन में धड़कते हुये दिल को ही देखता हूं।।
साफ जो रखते हैं अपने दिल का आईना प्रीतम के लिए।
किसी गैर पर नजर न जाती उसको सीने से लगाए हुये देखता हूं।।
मोहब्बत गर समझनी है तो बेगैरज सब से मोहब्बत कर।
तूफानों से ही साहिल का अंदाज लगाते हुये देखता हूं।।
मुसीबतें भी आसान बन जातीं गर मोहब्बत अपने साथ हो।
असली यार की पहचान मुश्किलों में ही इकरार हुआ देखता हूं।।
वह दिल ही क्या जिसमें अपने यार की मोहब्बत ही न हो।
इन मोहब्बत भरी आंखों में "नीरज" हुस्न के दीदार हुआ देखता हूं।।