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Kanchan Shukla

Others

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Kanchan Shukla

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उर्मिला की अंतर्व्यथा

उर्मिला की अंतर्व्यथा

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उर्मिला की अंतर्व्यथा पर कितनों ने लेखनी चलाई है?

क्या उनकी व्यथा किसी को समझ न आई है?

सीता महान हुई हैं जग में?

उर्मिला त्याग की प्रतिमूर्ति हैं!!

कितने ही कवि, कवियित्रियों ने लेखनी चलाई!!

रामायण के सभी पात्रों पर कविता कहानी बनाई!

सबने सीता, अनुसुइया, मंदोदरी की कथा सुनाई!!

पर कभी कोई कवि न आगे आया!!

तब हिन्दी के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण जी ने अपनी लेखनी उठाई।

साकेत महाकाव्य रचकर उर्मिला की व्यथा बताई!!

मेरे मन में भी उर्मिला के लिए कुछ भाव उभरे हैं?

मैंने उर्मिला के मनोभावों को लिपिबद्ध करने की जुर्रत दिखाई!!


जब छोड़ चला पति उसको वन में !!

तब उर्मिला के मन में व्यथा थी कैसी?

तब जल बिन मछली सी तड़प रही थी!!

चौदह वर्ष का विरह मिला था!!

यह वह सोच व्यथित थी मन में!

बिन पिया यहां रहूंगी कैसे?

मन की व्यथा कहूंगी किससे?

सबके मन में पीर बसी है!!

अपनी पीर कहूंगी किससे?

रोने का आदेश नहीं है?

हंसने की यहां रीत नहीं है!!

बिन पी यहां रहूंगी कैसे•••••

बसंत, ग्रीष्म, वर्षा ऋतु में!!

जब तड़प उठेगा मेरा मन!!

उस तड़प की व्यथा कहूंगी किससे?

चौदह वर्ष कैसे बीतेगा?

जब हर पल युग जैसा लगता है?

तुम चले गए प्रियतम मेरे?

मैं विरह अग्नि में जल जाऊंगी?

जब तुम आओगे ??

तब तक क्या मैं जिंदा रह पाऊंगी??

कोशिश करूंगी जिंदा रहने की?

क्योंकि मर कर भी मैं कैसे मर पाऊंगी?

गर मृत्यु भी मुझको आ जाएगी?

तो अग्नि दाह कैसे होगा?

इसलिए मुझे जीवित रहना होगा?

जब-तक तुम लौटकर न आ जाओ!!

मैं आंख बिछा रास्ता देखूंगी?

चौदह वर्ष बीत जाने पर!!

जब तुम अयोध्या आओगे?

तब तक उर्मिला पत्थर बनकर!!

सब कुछ सहती जाएगी!!

ना रोएंगी, न गाएंगी, चेहरे पर हंसी न आएगी!!

मेरा मौन त्याग तुमसे?

मेरे प्रेम का इज़हार करेगा!

उर्मिला ने त्याग किया है कैसा?

उसकी व्यथा बयां करेगा!!

पति वियोग होता है कैसा?

यह उर्मिला से पूछें कोई?

गीली लकड़ी सी जलती नारी!!

न जलती है न बुझती है?

सुलग सुलग कर कोयला बन जाती?

मन की व्यथा कही नहीं जाती?

उर्मिला के जैसा जले न कोई?

ऐसी व्यथा सहे न कोई?



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