मोहब्बत का पैगाम
मोहब्बत का पैगाम
मुहब्बत करने वाले जब पैगाम लिखते हैं,
अपने दिल पर प्रियतम का नाम लिखते हैं,
जज्बातों को बयां करने का अजब है तरीका,
होंठों से नहीं नज़रों से इज़हार करते हैं,
दिल में क्या छुपा रखा है,
यह समझना है मुश्किल,
कभी निगाहें पैगाम देती हैं,
फिर ज़ुल्फो को झटककर इंकार करती हैं,
मुहब्बत का भी अजब है फ़साना,
वफ़ा की तो ख़ूने जिगर से पैगाम भेजा,
ज़फा का तरीका भी बेमिसाल है,
तुम्हारे दुश्मन से वफ़ा करते हैं,
यह पैगाम देते हैं,
उनकी नज़रों से घायल हो,
जब हमने इज़हारे मुहब्बत की,
मुस्कुराते लवों ने मुहब्बत की सौगात दी,
फिर किस बात पर ख़फा हुए,
दिल समझ न पाया,
दिल सोचता ही रह गया,
कि ख़ता क्या हुई??
क्योंकि मुहब्बत भरे दिल में,
वफ़ा की तस्वीर होती है,
मुहब्बत करने वालों को,
असली नकली चेहरों की पहचान कहां होती है?

