बेटी बोझ नहीं
बेटी बोझ नहीं
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
अवनि का श्रृंगार है बेटी, वह तो जीवन का आधार है।
कल के किस्से का हिस्सा बेटी,जन गण की पुकार है।
आज की ज़रूरत बेटी, आगामी कल के लिए उपहार है।
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
बाबुल की दुआओं में बसी, माता के स्पंदन का आधार है।
बुरे वक्त में चट्टान सी खड़ी, करती कोमल व्यवहार है।
आसमान तक जा पहुँची बेटी, क्षमता जिसमें अपार है।
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
बिन बताए समझ लें मन की पीड़ा, बेटी ममता धार है।
नवचेतना से ओत-प्रोत, बेटी करती सुखों का आगार है।
बेटा संग कदम मिलाते चले बेटी, बनाती खुशहाल परिवार है।
सारे जग की मुस्कान है, बेटी बोझ नहीं सम्मान है।
