प्रेम - पुंज
प्रेम - पुंज
आपसी प्रेम और विश्वास के संबंधो को,
क्या ,हम सचमुच निभा रहे हैं ?
हम तो प्यार का भी अब सप्ताह मना रहे है l
सात जनम, सात फेरे , सात वचनों को
अब हम सिर्फ
सात दिन में ही सलटा रहें,,
क्या , हम सचमुच रिश्तों की गहराई समझ पा रहे है ?
कभी प्रेम शनै: शनै: परवान चढ़ा करता था l
बिन कहे , बिन सुने, अपनों की बाते
अपनों तक पहुँच जाया करती थी ,
बातें आँखों से बयां हो जाती थी,
रिश्ते अहसासों की कहानी लिखा करते थे,
बदल गया जमाना , बदल गयी सोच भी
आधुनिक युग में
अब हम प्रेम दिवस मना रहे है l
क्या, प्रेम दिवस ना हो तो
संबंधो में प्रेम पुंज साबित ना होगा ,
प्रेम कभी प्रमाणित नहीं किया जाता
ये तो अहसास है
जिसे साबित भी नहीं किया जाता l
अब भी समय है ,
संबंधो में प्यार और विश्वास का अहसास जगाइए ,
दिवस के दायरों में ना संबंधो को निभाइए,
अपने और अपनों की पहचान
भावनाओं का ही तो मान है l
प्रेम तो बस इन्ही
भावनाओं का सम्मान है l