पुरुष दिवस पर विशेष – स्वरचित कविता द्वारा “मिनाक्षी प्रकाश”
पुरुष दिवस पर विशेष – स्वरचित कविता द्वारा “मिनाक्षी प्रकाश”
पुरुष दिवस पर विशेष – स्वरचित कविता द्वारा “मिनाक्षी प्रकाश”
प्रतिस्पर्धी नहीं, पूरक हो तुम................ पुरुष हो तुम
प्रतिस्पर्धी नहीं, पूरक हो तुम
क्योंकि पुरुष हो तुम,
पुरुष के अस्तित्व की पहचान
और पारिवारिक व सामाजिक सम्मान
सदियों से कभी कम ना था ,
पुरुषत्व की भाषा के साथ
पुरुषार्थ के उपक्रम में
अतीत की प्रतिस्पर्धा में
पुरुष कभी शामिल ना था ,
क्योंकि
प्रतिस्पर्धी नहीं, पूरक हो तुम
क्योंकि पुरुष हो तुम,
जीवन के हर किरदार का
विश्वास है, पुरुष
घर -बाहर की जिम्मेदारीयों की
ढाल है, पुरुष
हर औरत के साजो – संभाल
की आस है – पुरुष
फिर
प्रतिस्पर्धी कहाँ , पूरक हो तुम
क्योंकि पुरुष हो तुम,
महिला दिवस,
महिलाओं के अस्तित्व की
पहचान दिलाता है
पर पुरुष कभी
अपनी पहचान का मोहताज ना था
इसलिए पुरुष दिवस
आधुनिकता के रंग का सिर्फ मान है
वरना,
पुरुष प्रतिस्पर्धी कहाँ , पूरक हो तुम
क्योंकि पुरुष हो तुम,
मिनाक्षी प्रकाश
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