मेरी भी सुन लेते ?
मेरी भी सुन लेते ?
चेहरे पर सवाल थे ,
नजरे अपनी रोशनी की
झिलमिलाहट से दूर थी ,
मन में जाने कितने
तूफान उमड़-घुमड़
रहे थे ,
कभी पीछे मुड़ कर अतीत
में झांक कर खुश होते,
तो कभी वर्तमान की
स्थिति के साथ
अपनों को याद कर
दुखी हो जाते,
कभी भविष्य को सोचते ,
तो कभी अनायास ही
चुपी साध लेते , और धीरे से कहते कि
काश ! मेरे अपने
मेरी भी सुन लेते ?