बिना किसी तर्क के पर्व-त्योहार थे, मेजबान और मेहमान थे। बिना किसी तर्क के पर्व-त्योहार थे, मेजबान और मेहमान थे।
हमारे जीवन को और मधुर कर जायेगा। हमारे जीवन को और मधुर कर जायेगा।
धवल धार सा निर्मल उज्ज्वल हिमराज सुशोभित करता हूँ, धवल धार सा निर्मल उज्ज्वल हिमराज सुशोभित करता हूँ,
ना द्वेष,ना कलेश ना कोई अभिमान जहां हर नारी को साथ लेकर निर्मित करूं नया संसार। ना द्वेष,ना कलेश ना कोई अभिमान जहां हर नारी को साथ लेकर निर्मित करूं नया संस...
सहपथिक के रुप में साथ तेरा चाहिए, सहपथिक के रुप में साथ तेरा चाहिए,
धूप हो या छाँव कभी नहीं टिकता, अँधेरे के बाद उजाला अपरिहार्य है, धूप हो या छाँव कभी नहीं टिकता, अँधेरे के बाद उजाला अपरिहार्य है,