#रंगबरसे (तिरंगा)
#रंगबरसे (तिरंगा)
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सूरज के उगने ढलने पर सृष्टि पर छा जाता हूँ,
रणभूमि पर छाने वाला केसरिया कहलाता हूँ।
धवल धार सा निर्मल उज्ज्वल हिमराज सुशोभित करता हूँ,
शांति का प्रतीक बना मैं सबके दिल में बसता हूँ।
वृक्ष-वृक्ष के पात-पात पर, वसुधा के मस्तक प्रभात पर,
वन उपवन के नीड़ नीड़ पर, समृद्धि का जो सूचक है।
हम तीनों का संयोजन ही, भारत माँ का पूरक है।