गूंजेंगे फिर सुर मधुर
गूंजेंगे फिर सुर मधुर
बंट गयी सरगम भी अब तो
हिन्दू मुसलमान में
कीर्तन में डूबा हिन्दू
शेख जी अज़ान में
सात सुर को जोड़ कर जब
एक सरगम बन गई
कैसे फिर माटी वतन की
मजहबों में रंग गई
सात सुर इस साधना के
खुद ब खुद हैरान हैं
मंदिरों और मस्जिदों के
भेद से अनजान हैं
मिल गए हम सब अगर ज्यूँ
साथ रहते सात सुर
देश की आबो हवा में
गूंजेंगे फिर सुर मधुर।