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Pooja Agrawal

Classics

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Pooja Agrawal

Classics

पवित्र बंधन

पवित्र बंधन

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पी की चुनरी ओढ़ चली मैं,

बाबुल की गलियां छोड़ चली मैं,

 मां के आंसू थमते नहीं हैं,

भाई का हाथ छूट रहा,

सखियों से मुंह मोड़ चली मैं।


कल तक तुम थे अजनबी,

आज जन्मों के मीत बने हो।

ओ मेरे हमसफर मेरे हमदम,

 मैं कविता तुम गीत बने हो।


सात सुरों की सरगम का,

छेड़ेंगे हम तराना।

अटूट रहेगा हमारा बंधन,

परवान चढ़ेगा हमारा फसाना।


 मैं रूठूँ तुम मना लेना,

 अपने पास बुला लेना,

मीठी मीठी बातों से

तुम मुझको लुभा लेना।


कुछ कम मैं, कुछ कम तुम,

एक दूसरे के पूरक बनेंगे।

एक दूसरे को थामकर ,

मंज़लों तक चलेंगे।


फिर एक दिन हमारी बगिया,

में नन्हा पुष्प खिल जाएगा।

वह हमारी मोहब्बत का अंश,

हमारे जीवन को और मधुर कर जायेगा।


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