मुझे आपसे मोहब्बत हो रही है
मुझे आपसे मोहब्बत हो रही है
मुझे आपसे यूँ मोहब्बत हो रही है.
दिल निकल रहा है पल छिन पल छिन
अजब सी हालत हो रही है
मन उड़ता है खुले आसमां में
तन की सुध - बुध खो रही है
आँखों में नीर हमेशा रहता है
लगता है कि प्रेम का दरिया है
कल - कल करता बहता है
होंठों पर सुरीली सरगम सज रही है
पांवों बिन सुर ताल के थिरकते हैं
जाने किस मय की मदहोशी छा रही है
मेहंदी मेरे हाथों में तेरे नाम को जब छू रही है
गुलाबों जैसी रूह महक हो रही है
बावरा सी चितवन तुझे तलाशा करती है
फिर आईने में समक्ष तुझे पाकर झुकती है
रोग है कि मेरा मुझ पर अख्तियार नहीं
अपनी खुशनसीबी पर हमें एतबार नहीं
आसमानों से हम पर दुआओं की बारिश हो रही है ।