नया दिवस
नया दिवस
कुछ कंटक लिए, कुछ पुष्प लिए
मैं बगिया नई सजाता हूंँ
सूखे पत्तों को पीछा छोड़
मैं नई कोपल पर गर्वाता हूँ
एक पग और बढ़ाता हूंँ,
मैं नया दिवस बन जाता हूँ
कुछ भय लिए, कुछ साहस लिए,
ईश्वर में पुनः विश्वास लिए
मैं व्याप्त तिमिर में
दीप आशाओं के जलाता हूंँ
आगे पग बढ़ाता हूंँ,
मैं नया दिवस बन जाता हूँ
श्रणभंगुर संसार है यह,
पर जीवन चक्र चलता जाता
युग से युगांतर तक
पुरातन इतिहास बनता जाता
मैं भी तो काल की एक कड़ी हूं
आगे पग बढ़ाता हूंँ
मैं नया दिवस बन जाता हूं।