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Dinesh paliwal

Comedy

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Dinesh paliwal

Comedy

।। कथा और कहानी ।।

।। कथा और कहानी ।।

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पत्नी जी ने पूछा, 

क्या अंतर है कहानी और कथा में,

हमने कहा वही जो है, 

मेरे दर्द और तुम्हारी व्यथा में,

मेरे दर्द का शायद अंत है,

तुम्हारी व्यथा का नहीं,

ऐसे ही कहानी कभी तो पूरी होती है,

पर अंत होता किसी कथा का नहीं ।।

कहानी की एक उम्र है होती,

कुछ तो होती है शब्दों की सीमा ,

कथा तुम्हारी तरह अदम्य है,

महात्म्य,न होता इसका कभी धीमा ।

एक कथा में निहित कहानियां बहुतेरी,

पर न कहानी में निहित कथा कोई,

कहानी तो हम जड़ चेतन की है,

कथा तो बस हरि की ही होई ।।

सुन कर पत्नी जी के चेहरे पे आया ओज,

जैसे मन से उतरा हो कोई भारी बोझ,

खुश हो कर बोलीं सच कहते हो,

तुम तो सच में कहानी से ही रहते हो,

बस गिने चुने शब्द और परिच्छेद हो,

मेरी जीवन कथा के अनुच्छेद हो ।।

हमने जोड़ा हाँ तुम तो हो ही कथा सी विराट ,

जिस के हर दम बस चलते उपदेश,

मैं निरीह कहानी सा हूँ ,

बस डर डर देता कुछ संदेश ।।

जब से तुम हो इस जीवन आयी,

ये कहानी तो अनमोल हो गयी,

जो पहले चहकती थी खुद ही अकेले से,

वो अब एक कथा का बोल हो गयी,

इस कहानी का अब अपना कोई सार नहीं,

इसकी अपनी जीत नहीं, कोई अपनी हार नहीं,

ये कहानी अब कथा के साथ साथ रहती है,

अपने दर्द तो हैं ही इसके,

ये कथा की व्यथा को भी अपना कहती है ।। 



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