STORYMIRROR

Devesh Dixit

Comedy

4  

Devesh Dixit

Comedy

हेलमेट

हेलमेट

1 min
312

मोटर साइकिल पर बैठे 

दो व्यक्ति कहीं जा रहे थे

हवा से बातें भी कर रहे थे

लंगूर को भी घुमा रहे थे

बिना हेलमेट के चले जा रहे थे

मोटर साइकिल से बढ़े जा रहे थे

पता नहीं कहां जा रहे थे

बस कहीं तो जा रहे थे

आगे मिल गया थानेदार

चालान काट रहा फर्राटेदार

जब चालक को नजर आया

दिमाग ने उसके झटका खाया

बिना हेलमेट के हैं ख्याल आया

दिमाग में उसके विचार आया

थानेदार से बचने की खातिर

दिमाग चलाया उसने शातिर

नज़र बचाकर भी निकल न पाया

थानेदार ने जब डंडा अड़ाया

बिना हेलमेट के उनको पाया

तीनों का उस पर जुर्माना लगाया

लंगूर को तब क्रोध आ गया

थानेदार पर रौब जमाया

चढ़ गया वो उसके ऊपर

रूप दिखाया उसने सुपर

थानेदार अब असमंजस में था

बिना बात के कशमकश में था

हेलमेट की जरूरत क्या इनको 

खुद ही सुरक्षित करते सब को

हनुमान जी का ही तो रूप है

इनसे होती कहां कब चूक है

थानेदार को तब समझ में आया

उसने उन दोनों को समझाया

इनको तो मैं छोड़ रहा हूं

पर तुम दोनों को बोल रहा हूं

बिना हेलमेट के कहीं जाना नहीं है

मोटर साइकिल चलाना नहीं है

अभी तो तुम चालान भरोगे

तभी यहां से प्रस्थान करोगे

उसने चालान का भुगतान कराया

थानेदार से फिर पिंड छुड़ाया



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy