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DrGoutam Bhattacharyya

Comedy Action Others

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DrGoutam Bhattacharyya

Comedy Action Others

रेलगाड़ी की लंबी यात्रा

रेलगाड़ी की लंबी यात्रा

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रेलगाड़ी में अपने कभी, लंबी यात्रा नहीं किया? 

अरे भाई, आखिर अपने, जीवन में किया ही क्या? 


आइये आपको बताते है, एक सफर की बात।

गर्मी की छुट्टी में , हम सब, घूमने गए थे एक साथ ।


सब कुछ ठीक ही था, यात्रा पर जाते समय ।

पर एक विकल घटना घटी, रास्ते में लौटते समय ।


सुबह एक स्टेशन पर, चाय नाश्ता कर लिए ।

 हरा भरा खेत, मंडी, मवेशी, गाड़ी चल दीए ।


हाट और देहात, नदी और झरने, बच्चे खेल रहे,

सौम्य गांव, दोनों दिशा से, ओझल होते गए ।


इसी बीच एकाएक , छोटे से एक स्टेशन पर , 

 ट्रेन हमारी, चलते चलते रुक गई बेखबर। 


रेल के कर्मी, और पुलिस, हरकत में आने लगी

और फिर, हमारी ट्रेन, धीरे से फिर चलने लगी।


रेलगाड़ी, बेखबर, फिर एक बार रुक गई

"हाय यह मरकट, फिर क्यों थम गई ?


न आगे इस्टिशन, न पीछे कुछ दिखता, 

इस आफत को, यहीं रुक जाना था ?"


पसीने से लथ-पथ, एक नन्हा बेहाल, 

गर्मी से माँ की और भी बुरा हाल।


गन्दी गंजी पहने एक अधेड़ गंजा,

बोरे पर बैठा, बीड़ी के कस ले रहा था।


मई की गर्मी, और ऊपर से धुआँ,

नन्ही जान का, दम घुट रहा था।


कौन दखल दे, या फिर, सलाह दे,

गंजे का वीरप्पन-सा, मूंछ देखा नहीं क्या ?


बच्चे का पिता, पतला और दुबला,

बैंच के कोने पर, सिकुड़ कर बैठा।


घूंघट के अंदर से आवाज आयी,

“तनिक इसे बाहर घुमा लाओ नी।”


कुछ सवारी नीचे उतर गई थीं, 

खुली हवा में टहलने लग गई थीं।


आसपास वीरान, न कोई खेत, न खलिहान, 

न पास कोई मकान, न चाय की दुकान।


दूर एक केबिन, दिख रहा था,

वहीं आगे, शायद कोई चौराहा था।


तभी आगे से, खबर लाया कोई,

सामने मालगाड़ी, पटरी से उतर गई।


यह कोई नई बात, थोड़े ही है,

‘आज-तक’ में, अकसर आता है।


हर रेल मंत्री तो, 'शास्त्री जी' नहीं है

इस्तीफा वापस लेना, कहाँ मनाही है।


बच्चे रो रहे थे, और बूढ़े सो रहे थे,

बाकी ? रेल-व्यवस्था को गाली दे रहे थे।

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