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DrGoutam Bhattacharyya

Abstract Inspirational

4  

DrGoutam Bhattacharyya

Abstract Inspirational

इच्छाओं के परे

इच्छाओं के परे

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'आप' वहां हैं बोझ उतारने के लिए ,

शीघ्र दौड़े 'गोपियों' की मदद के लिए ,

पानी की मटकी उठाने के लिए नहीं, 

उठा के बोझ सिर पर रखना नहीं

बल्कि, मटकी नीचे रखने के लिए,

बोझ उतारने में मदद करने के लिए ।


जिंदगी के सफर में,

हमारा 'सामान' हमारी 'इच्छाएं' हैं,

सामान जितना कम होगा,

यात्रा उतनी ही आरामदायक होगी.


हम प्रसिद्धि, संपत्ति और क्षमता की तलाश करते हैं,

लेकिन, ये हमें खुशी नहीं दे सकते, 

 हे  नश्वर मानव,

क्योंकि ये सब मूलतः बाह्य हैं,

जबकि ख़ुशी तो आंतरिक होती है।


अज्ञानता  दुखों का मूल कारण है ,

हम भूल जाते है  , 

ज्ञानके बिना संतोष की प्राप्ति नहीं होती है।


वास्तव में, हे नश्वर मानव, हासिल करने के लिए, 

कुछ भी नहीं है,

भारतीय शास्त्र हमें कहते हैं, कि,

हम मूलतः 'सत्', 'चित्' और 'आनंद' हैं,

जीवन का लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार है,

क्या हम को इस पर विश्वास नहीं है?


यदि हम धार्मिकता के अनुरूप हैं,

वैदिक स्तवन हमें यही सिखाते हैं,

यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड को समाहित करता है,

बस, हमें अपनी दृष्टि भीतर की ओर मोड़ने की जरूरत है।

संसार की सारी ज्ञान मानव मन के अंदर ही समाहित है।


तथाकथित शिक्षितों की टिप्पणियाँ सुनकर, हो सकता है,

हमें रामायण और महाभारत की सभी बातें अवास्तविक और मिथक लगती हैं।

ऐसी सभी आलोचनाओं को भूल जाइए।

इन्हें अद्भुत रचनात्मक लेखन के रूप में अवश्य पढ़िए।

इन साहित्यिक कृतियों में मंत्रमुग्ध हो जाइए।

पूरे संसार में ऐसी महाकाव्य बिरल है।


रामकृष्ण परमहंस,

बिना किसी औपचारिक शिक्षा के,

संसार की ज्ञान और बुद्धि को किया उजागर ।

सभी शास्त्रों का बहुपठित पाठक, 

महाज्ञानी स्वामी विवेकानन्द ने देखा उनकी ओर ,

आश्चर्य से अभिभूत हो कर।


हे नश्वर मानव, कभी मत भूलो,

जिंदगी के सफर में,

हमारा 'सामान' हमारी 'इच्छाएं' हैं,

सामान जितना कम होगा,

यात्रा उतनी ही आरामदायक होगी।


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