गणेश और चंद्रमा
गणेश और चंद्रमा
गणेश जी ने खाई मिठाई,
पेट फूल गया, ऐसी आई तबाही!
चलते-चलते गिर गए धड़ाम,
चाँद ने देखा, हँस कर कहा 'राम-राम!'
गणेश जी को आया गुस्सा भारी,
बोले, "अरे चाँद, ये कैसी हँसी?"
"आज से तुमको देखेगा जो,
झूठा इल्ज़ाम पाएगा वो!"
गणेश चतुर्थी का दिन आया,
सबने चाँद से मुँह छुपाया।
कोई पर्दा लगाए, कोई भागे,
सोचा, झूठे आरोप ना लगें आगे।
चाँद भी अब है परेशान,
ना कोई देखता, ना करता सम्मान।
"मैं कितना सुंदर, कितना अच्छा,"
रो-रो कर वो कहता, "अब मैं क्या करूँ, हे बच्चा!"
गणेश जी ने कहा, "यह है मेरा राज,
सम्मान से रहना ही है आज।
पेट मेरा है, मिठाई मेरी है,
हँसेगा जो, उसको सजा मेरी है!"
तो ये है कहानी, है मजेदार,
गणेश जी का गुस्सा और चाँद लाचार।
अगली बार जब चाँद को देखो,
गणेश जी की कहानी याद रखो!
*******
