दुर्गा पूजा के पंडाल
दुर्गा पूजा के पंडाल
दुर्गा पूजा से पहले जगह जगह पर पंडाल बनाता है
देखिए, पंडाल से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
पंडाल का आंतरिक संरचना बड़े बड़े बांस से बनता है
इसमें छुपी हिन्दी कहावत, 'बाड़ के सहारे दुब बढ़ती है'
हमारे समाज में भिन्न भिन्न प्रकार के लोग होते हैं
यहाँ बहुत से लोग वैसे, जो दूसरों को बांस देते हैं।
मजा देखिये, वे लोग अक्सर पहचान में नहीं आते हैं ,
वे बहुत चतुर हैं, रंगीन कपड़े से ढके होते हैं।
लेकिन जिंदगी हमेशा प्यार की कहानी कहती है।
जैसे नीले प्लास्टिक, जो लगन से हमारी रक्षा करती है।
तूफ़ान, बारिश, ख़तरे से कोई हमारी रक्षा करती है।
कोई हमें सतर्क रखती है तो कोई हमें परेशान करते है।
किसी पंडाल को बड़े गौरसे देखिये, कोई चीज़ दिखाई देते
पर, कोई चीज़ तो सामने से बिलकुल दिखाई नहीं देते।
आइये पंडाल के भीतर, वहाँ मूर्ति बड़े जतन से रखा है
ठीक उसी तरह जैसे मन के अन्तराल में माँ होती है।
इसलिए यदि आप असहाय महसूस करते हैं,
तो आपको मन के अंदर गोता लगाना जरुरी है।
