जंगल सफारी
जंगल सफारी
हममें से बहुत से लोग बॉन्ड की कहानियां पढ़कर बड़े हुए हैं।
इसलिए रस्किन बॉन्ड को जेम्स बॉन्ड के साथ न मिलाएं।
उस साल, हम सब ने फॅमिली ट्रिप पर जाने का फ़ैसला किया था।
यह गर्मियों के दौरान था, और मेरा उम्र पाँचवीं कक्षा के बच्चे जैसा था।
और, मैं आपको बता दूं, मेरे सब चचेरे भाई बहिन भी इतना ही था।
हमने झरनों, जंगलों और समुद्र तटों का खूब दौरा किया था।
मेरे पापा और उनके दो भाई एक स्टोव और एक सिलेंडर लाए थे ।
हमने किराने का सामान खरीदा, जो हर भोजन की तैयारी के लिए जरुरी थे।
हम एक माकूल जगह की तलाश करते, जहाँ हम खाना बना सकें।
एक साफ़ जगह, पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ, किनारे झरने या नदी के।
जब हमें आराम करने और सोने के लिए एक सराय की जरूरत होती थी।
पापा और सभी चाचा एक साथ कहीं भी कमरा पूछ रहे होते।
एक शांत और उदास शाम, हम एक देहाती परिसर के पास पहुँचे।
हमारी ज़रूरत के लिए, हम अच्छे कमरे आसपास में ढूँढ़ने लगे।
हमारी योजना एक रात रुकने और सवेरे सवेरे में प्रस्थान करने का था,
भोर होने पर, हमने वह मोटेल छोड़ दिया और हमारा वाहन आगे बढ़ गया था।
वह मनहूस रात हमारी यात्रा के आखिरी दिन से ठीक पहले की थी;
पूरा दिन हमने दिलकश जंगल और झरने में खेलते हुए बितायी थी।
घंटों खोजने के बाद भी हमें उस रात रुकने के लिए कोई सराय नहीं मिला था,
अब होटल बिना ही काम चलाना है, क्योंकि हमारा ड्राइवर बहुत थका हुआ था।
चूँकि हम सबने निर्णय लिया, चलो गाड़ी किसी खुले मैदान के पास खड़ी करें।
चटाइयाँ बिछाई गईं, बुजुर्गों ने कहा चलो अस्थायी तंबू बनाना शुरू करें।
सूर्य देव, तब तक, दिव्य रक्तिम यात्रा के लिए तैयार हो रहे हैं।
छोटी चाची ने बच्चों को कहानी सुनाने के लिए चटाई पर बैठ गईं।
उनकी अचिंतित कहानी में महादूत, परियाँ, राक्षसी और राक्षस था।
उन्होंने कहानी के हर मोड़ को अपने हाव-भाव से बखूबी बयान किया।
बड़ों ने तय किया, महिलाएँ, लड़कियाँ और बच्चे मिनी बस के अंदर सोएँगे ।
उधर, सब पुरुषों और लड़के ज़मीन पर अस्थायी तंबू में सोएँगे ।
आख़िरकार, अगली सुबह हमें घर ही तो वापस जाना था।
जब ये सारी व्यवस्था हुई, तब तक मैं थका हुआ सो रहा था।
देर रात, अचानक किसी अजीब सी आवाज से, मेरी नींद खुल गई।
मैं मन ही मन सोच रहा था, "क्या यह भेड़िया था, या डरावना जानवर कोई?"
उस पल, मैं पूरी तरह से डरा हुआ, मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा था।
"अब हम कहां हैं? क्या हम जंगल से बाहर आ गये?” मैं सोच रहा था।
"हे भगवान, क्या हम अभी भी जंगल के बीच में हैं? मुझे याद नहीं था।
क्या उस जंगल से कोई जानवर ने हमारी गाड़ी का पीछा किया था?”
"हे भगवान... मैं तब तक उस आवाज को स्पष्ट रूप से सुन सकता था।
क्या यह करीब आ रहा है? क्या यह किसी को मारने वाला था?”
आने वाले खतरे के बारे में सोचते हुए मैं दूसरी तरफ मुड़ गया था।
देखा कि मेरे दूसरे चाचा उस तरफ बड़े आराम से सो रहा था।
मैंने सोचा, “अगर मैं बात करूं या शोर मचाऊं, तो जानवर करीब आ जाये ;
"हम इस अंधेरे में क्यों सो रहे हैं?" मेरे अंदर यह प्रश्न उठ खड़े हुए ।"
मैंने धीरे से मझले चाचा के कंधे को हल्के से थपथपाया।
इससे पहले कि वह कुछ पूछता, मैंने उनका शर्ट कस कर पकड़ लिया।
मैंने कहा, "मेजका, ..स, सुनो, किसी जानवर की आवाज़ आ रही है।"
वह जाग गया और तुरंत ही समझ गया कि वह क्या आवाज़ है ।
उन्होंने कहा, "यह शोर? आओ मैं तुम्हें दिखाता हूँ , कौन शोर मचा रहा है"
कैनवस कैंप के एक कोने में हमारा ड्राइवर गहरी नींद में खर्राटे ले रहा है।
