बिना इमिग्रेंट्स के अमेरिका
बिना इमिग्रेंट्स के अमेरिका
चलो सुनें, एक नई कहानी,
बिन प्रवासियों की, कैसी थी यह भूमि रानी?
जाते सब वापस, अपने देश को,
छोड़ जाते खाली, शहर और खेतों को।
‘जेसी’ बोली, "अरे ‘अयाना’, सुनती हो ये बात?
गोरों ने अब कर दी है, खुद से ही मात।
बिना लोगों के, यह देश कैसे चले?
कौन यहाँ दुकान खोले, कौन यहाँ गाड़ी चलाए?"
अयाना हँसी, "हां, मुझे पता है,
बिना उनके, यहाँ सिर्फ सन्नाटा है।
बिना उन लोगों के, कौन मनाएगा दिवाली?
बिन बिरयानी के, यहाँ सब जगह खाली।"
जेसी बोली, "अरे देखो, उनकी सोच कितनी अजीब!
जाते लोग तो फिर, कौन चलाएगा यहाँ जीप?
कोई नहीं रहेगा, तो फिर कौन करेगा बात?
फिर तो हम ही रहेंगे, दिन हो या रात।"
"सही कह रही तुम," अयाना ने कहा,
"उनकी दुनिया तो, बिना लोगों के हो गई फिदा।
पर हमें क्या, हमें तो मजा आएगा,
बिना उनके, हम खुद ही सब बन जाएंगे।"
"पर यह तो बड़ी मुश्किल है, जेसी ने कहा,
"कैसे हम करेंगे, सब कुछ यहां?
बिना उनके, हम कैसे रहेंगे?
फिर तो हम अपने खुद के ही गीत गाएंगे।"
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