तभी तो सीख पाओगे सच्चा सदाचार। तभी तो सीख पाओगे सच्चा सदाचार।
सुखी है आदमी कब जब उसे संतोष है! सुखी है आदमी कब जब उसे संतोष है!
भूख बड़ी तेज़ लगी है नानी माँ की देसी रेसेपी बनाने की पराए देश में अपनों के साथ बैठ के, दा... भूख बड़ी तेज़ लगी है नानी माँ की देसी रेसेपी बनाने की पराए देश में अपनों क...
हैं जितने पेड़ पहाड़ों पर उतनी अंगड़ाई रोज़ भरो जीवन तुम इत्मीनान धरो।। हैं जितने पेड़ पहाड़ों पर उतनी अंगड़ाई रोज़ भरो जीवन तुम इत्मीनान धरो।।
इस कविता में 'याद' इसलिए ताकि जीवन में रोमांच मिले इस कविता में 'याद' इसलिए ताकि जीवन में रोमांच मिले
घर में निहित माँ का मातृत्व और पिता की आशीष साक्षात होता है। घर में निहित माँ का मातृत्व और पिता की आशीष साक्षात होता है।