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Sudhir Srivastava

Comedy

4  

Sudhir Srivastava

Comedy

यमराज का एकांतवास

यमराज का एकांतवास

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370


कल यात्रा के दौरान यमराज से मुलाकात हो गई

होते करते थोड़ी वार्तालाप हो गई,

मैंने पूछा- महोदय आप कहां जा रहे हो

अपनी ड्यूटी किसके भरोसे छोड़

भारतीय रेल यात्रा का आनंद ले रहे हो।

यमराज पहले तो मुस्करातये फिर बताये

मैं अपनी ड्यूटी से तंग आ गया हूं,

बिना सूचना के तीन दिन से अनुपस्थित चल रहा हूं

कसम है तुम्हें ये राज राज ही रखना

मेरा भंडाफोड़ मत कर देना।

मैं हिमालय पर तप करने जा रहा हूं

हिमालय की कंदराओं में 

जीवन का आखिरी समय 

शांति से बिताना चाहता हूं।

तंग आ गया हूं अपने जीवन से

बस काम ही काम, तनिक न आराम

न अवकाश न चिकित्सा सुविधा या कोई भत्ता।

ऊपर की कमाई का भी कोई विकल्प नहीं

प्रमोशन का तो कोई प्रश्न ही नहीं

लानत है ऐसी नौकरी पर

बस मौत का वाहक बनकर रह गया हूं।

नौकरी परमानेंट सही पर सुविधा 

संविदा जैसी भी नहीं पा रहा हूं

वेतन बढ़ोत्तरी के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया जाता है

टीए डीए का तो सवाल तक नहीं आता है,

अपनी बात कहने का अवसर भी नहीं दिया जाता है

बस अगली ड्यूटी का पत्र एडवांस में 

थमा दिया जाता है

एक पल को आराम नहीं है

दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ रही है

मेरी सवारी आज भी भैंसें से ही हो रही

पर मेरे वाहन का भी आधुनिकीकरण हो

जैसे किसी को कोई मतलब ही नहीं है।

सारे आवेदन लालफीताशाही का शिकार हो रहे हैं

यमराज यमराज नहीं बस मशीन बनकर रह गये हैं।

इसका सबसे बेहतर हल यही समझ में आया

चुपचाप ड्यूटी छोड़ूं निकल आया।

अब पता चलेगा जब ऊपर की व्यवस्था का

सारा सत्यानाश हो जायेगा, 

धरती पर मौज ही मौज होगा

क्योंकि अब कोई नहीं मरेगा

पाप का बोझ मेरे सिर पर और न चढ़ेगा।

मैं अपने पापों का प्रायश्चित करने जा रहा हूं

मुक्ति का पथ ढूंढने जा रहा हूं

शांति से जीवन बिताने जा रहा हूं

यमराज हूं तो क्या हुआ

मैं भी तो मोक्ष पाना चाहता हूं।

हिमालय की पहाड़ियों में छुपकर

अपने जीवन का उत्तरार्ध अकेले में बिताना चाहता हूं

मरने से पहले सारे पाप धोना चाहता हूं

आत्मा पर बोझ बहुत बढ़ गया है

उसे उतारना चाहता हूं

मैं भी अब मुक्ति चाहता हूं

एकांतवास में बाकी दिन गुजारना चाहता हूं। 



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