STORYMIRROR

SUNIL JI GARG

Comedy Romance

4  

SUNIL JI GARG

Comedy Romance

फ्री का रोमांस

फ्री का रोमांस

1 min
303

शाम को जब मैं घर आता

तुम रोज़ मिलती थीं तैयार

तुम कहती तो नहीं कभी

घूमने का मन होता बाहर


शादी के बचपन की बात

याद मुझे अब आती प्रिये

घुटने में दर्द मेरे आज है 

मलहम ले आना मेरे लिये


रिश्ता हम दोनों का है

एक पुलिंदा यादों का

पैसे कभी न आए बीच

बस पक्के रहे इरादों का


यूं बातों वातों से मैं तो

तुमको बहलाता आया

रोमांस फ्री में हो सकता

दुनिया को बताता आया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy