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SUNIL JI GARG

Fantasy Others

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SUNIL JI GARG

Fantasy Others

ज़िन्दगी के मायने

ज़िन्दगी के मायने

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बड़ी सोंधी महकती है 

वो मिट्टी जिसका मैं बना हूँ

बड़े दिनों तक साने रहे है मन को 

वो भाव जिनमें मैं सना हूँ 


मैं डूबे ही रहना चाहता हूँ 

उस रस में जिसमें भीगा हूँ अभी 

कली बनकर ही चहकते रहना चाहता हूँ 

उस पौधे पर जो सींचा है अभी 


पर शायद समझने होंगे 

ज़िन्दगी के असली मायने 

फूल, कली की बातें तो होती 

किसी भी कवि के बहाने पुराने


पूरा हुआ है लक्ष्य 

उस भाव का जो कविता में उतरा

धन्य है वो कली जो 

फूल बन उठी मुस्कुरा 

 

हाँ यही हैं 

ज़िन्दगी के मायने

चल उठ अभी तो 

पूरी पड़ी है सामने ।


 


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