STORYMIRROR

SUNIL JI GARG

Fantasy Others

4  

SUNIL JI GARG

Fantasy Others

ज़िन्दगी के मायने

ज़िन्दगी के मायने

1 min
298

बड़ी सोंधी महकती है 

वो मिट्टी जिसका मैं बना हूँ

बड़े दिनों तक साने रहे है मन को 

वो भाव जिनमें मैं सना हूँ 


मैं डूबे ही रहना चाहता हूँ 

उस रस में जिसमें भीगा हूँ अभी 

कली बनकर ही चहकते रहना चाहता हूँ 

उस पौधे पर जो सींचा है अभी 


पर शायद समझने होंगे 

ज़िन्दगी के असली मायने 

फूल, कली की बातें तो होती 

किसी भी कवि के बहाने पुराने


पूरा हुआ है लक्ष्य 

उस भाव का जो कविता में उतरा

धन्य है वो कली जो 

फूल बन उठी मुस्कुरा 

 

हाँ यही हैं 

ज़िन्दगी के मायने

चल उठ अभी तो 

पूरी पड़ी है सामने ।


 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy