Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Dinesh paliwal

Comedy Inspirational

4.5  

Dinesh paliwal

Comedy Inspirational

नेता और राजनीति

नेता और राजनीति

2 mins
247


आज कल नेता ये कैसी बातें कर रहे,

इनकी मति पे तरस हमें अब आता है,

जनता को बाटें बस उनकी जात पांत में,

बीच में अपनी भी जात दिखा जाता है।


पूछा नेता जी को जब हमने ओ नेताजी,

आप हो पढ़े भला कितनी जमात तक,

सुन कर नेताजी भरमाये मन ही मन,

बोले दूँगा मैं जवाब सोच कर रात तक।


मेरी जो पढ़ाई है वो तुम से तो है जुदा,

ये सारी मैंने जाके स्कूल नहीं पायी है,

राजनीति मैंने पढ़ी मौकापरस्ती से भाई,

गणित की शिक्षा वोट गिनने से आयी है।


गणित हमारा देखो जग से निराला भैया,

हल के हिसाब से बनाते हम सवाल हैं,

जोड़ना, घटाना फिर गुणा हो या भाग हो,

जेब में रहते अपनी सदा सब ये बवाल हैं ।


भाषा तो हमारी यहाँ हर पल बदले है,

सही मायनों में देश के हैं देशवासी हम,

हाथ जोड़ शीश झुका आज जो हैं वोट मांगे,

कल जब कुर्सी मिले निकालेंगे तेरा दम।


अब चाहे चुटकले कहो कितने भी तुम 

कितनी पदवी से तुम हम को नवाजोगे,

हम ही तो तुम्हारे अब भाग्यविधाता हैं ,

हम से भला अब कितना तुम भागोगे।


गर चाहते हो तुम देश को बदलना तब,

ताल ठोक कर राजनीति अपनालो तुम,

आग के दरिया में डूब जाओ बाबू साहब,

जनता के बीच ख़ुद को आजमालो तुम।


देश को बदलना हो तो पान की दुकान पर,

सिर्फ चर्चा कर के तो हो ही नहीं पायेगा ,

हर कोई चाहे यहां बनना प्रणेता बस,

घर से निकल के सड़क पे नहीं आयेगा।


सूर्य जैसा चमकने की चाह यहां सब को,

पर ताप जरा लगा तो पीछे हट जायेगा,

देश तो बढ़ेगा तब द्रुत गति से ये आगे,

हर घर आहूति इस होम में चढ़ायेगा।


मुझ में कमी निकालने से पहले तुम,

झांको तो जरा अब गिरेबान अपने,

मेरी डिग्रियों की तो न करो तुम परवाह,

पहले छोड़ो झूठी बैसाखियों के सपने ।


जितना ये देश मेरा उतना तुम्हारा भी है,

तो सारी उम्मीदों का बोझ मेरे सर क्यों,

ग़र मैं नहीं उम्मीदों पे खारा हूँ उतरा तो,

रण में उतर के लेते नहिं अवसर क्यों ।


बदलो ये सोच और बदलो सामाज तुम,

माँ भारती अब तुम को ही है पुकारती,

भाग्यविधाता बनो माँ भारती के भाल के,

द्वार खड़ी माँ अब आरती उतारती,

वीर बढ़ो माँ अब नित हैं पुकारती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy