STORYMIRROR

Sudhir Kumar Pal

Children Comedy Drama

3  

Sudhir Kumar Pal

Children Comedy Drama

इम्तेहान की घड़ी जब आती है

इम्तेहान की घड़ी जब आती है

1 min
966


इम्तेहान की घड़ी जब आती है, हर दिल की धड़कन बेतहाशा बढ़ जाती है,

नज़रे इधर उधर घूम जाती हैं, फिर भी नहीं कोई सूरत नज़र आती है।


बहुत थी की पढ़ाई, रात रात भी की बहुत जगायी,

फिर भी है अक्ल बदहवास, उत्तर ना कोई बताती है।


"जम के की है मेहनत, अव्वल मेरा पेपर होगा",

बड़बोली वो सारी ख्याली-पुलाव सी रह जाती है।


सर पर खड़ा मास्टर यमदूत-सा दिख जाता है,

साँसों की डोर अपनी उसके हाथ नज़र आती है।


एक-एक अक्षर जैसे ज़हरीला डंक बन जाता है,

आँखों के आगे अँधियारे की कालिख छा जाती है।


उधार माँग पेन पेन्सिल कैसे-कैसे काम चलाता है,

भरकस कोशिश की चार लकीरें ही अब सुकून दिलाती है।


मंदिर मस्जिद गुरद्वारा चर्च तक ना छूट जाता है,

हर दर हर आँगन पर तकदीर आज़माई जाती है।


रोज़ याद करके वो लम्हे कलेजा मुँह को आता है,

और फिर यकायक घड़ी ज़ालिम वो रुलाती है।


दहाड़ मार-मार कर दिल ये रोता जाता है,

छोटी लापरवाही अब बड़ी सज़ा सुनाती है।


लम्बे अरसे तक इन्तेहा ही पछताता है,

विद्यार्थी जीवन की याद अक्सर दिलाती है।


हल्की बूंदाबांदी-सी लबों पर मुस्कुराहट छोड़ जाती है,

हौले से फ़िर एक बार विद्यार्थी बना जाती है।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Children