मम्मी-पापा ने पकड़ी थी मेरी उंगली जब मैं था छोटा, वे मुझे शांत कराते, अक्सर मैं जब रोता, मम्मी-पापा ने पकड़ी थी मेरी उंगली जब मैं था छोटा, वे मुझे शांत कराते, अक्सर मैं ...
सुना है बड़ी हुई वो लड़की दिल की अपने अब वो सुना नहीं करती। सुना है बड़ी हुई वो लड़की दिल की अपने अब वो सुना नहीं करती।
हो जाती है ईर्ष्या कभी कभी दोस्तों के संग फिर भी बाँटते हैं भोजन दोस्तों के संग। हो जाती है ईर्ष्या कभी कभी दोस्तों के संग फिर भी बाँटते हैं भोजन दोस्तों के संग...
घर बनाये झोले ले जाते थे जहाँ वो चारदीवारी ढूंढ रहा हूं। घर बनाये झोले ले जाते थे जहाँ वो चारदीवारी ढूंढ रहा हूं।
ख़ुद टूट कर भी, दिलों को जोड़ने का, जिगर रखती हैं गुल्लकें। ख़ुद टूट कर भी, दिलों को जोड़ने का, जिगर रखती हैं गुल्लकें।
गिर जाते हैं मिट्टी में दाने, सूखे फल जो जमा कर रखे थे गिलहरी ने आने वाले समय के लिए टहनियों के ... गिर जाते हैं मिट्टी में दाने, सूखे फल जो जमा कर रखे थे गिलहरी ने आने वाले समय...
दूसरों के काम जब आओगी तुम तो चाँद जैसा चमकोगी।। दूसरों के काम जब आओगी तुम तो चाँद जैसा चमकोगी।।
माँ! बस्ते के बोझ तले मेरा बचपन दब रहा है, माँ! बस्ते के बोझ तले मेरा बचपन दब रहा है,
उस दिन मैंने किताब खोली ही नहीं जिस दिन उन्होंने कहा कि किताब पढ़ना अच्छी बात है। उस दिन मैंने किताब खोली ही नहीं जिस दिन उन्होंने कहा कि किताब पढ़ना अच्छी बात ...
उड़ान भरने दो उन्हें, ये खुला आसमान देख लेने दो उन्हें... उड़ान भरने दो उन्हें, ये खुला आसमान देख लेने दो उन्हें...
मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को भटकने न दे, अभी मशा... मंजिल थोड़ी दिखने लगी,जिसके ऊपर ध्वज चढ़ा, बस बाहें बढ़ाकर थामना है,अभी खुद को ...
पर्यावरण संरक्षण को लक्ष्य बना लें, ज्यादा नहीं बस थोड़ा समय तो इसे दिया ही कीजिये। पर्यावरण संरक्षण को लक्ष्य बना लें, ज्यादा नहीं बस थोड़ा समय तो इसे दिया ही...
हमको कहती हम बच्चे हैं अभी अकल से हम कच्चे हैं समझ नहीं है हममें सारी बहुत अलग यह दुनियादारी मोट... हमको कहती हम बच्चे हैं अभी अकल से हम कच्चे हैं समझ नहीं है हममें सारी बहुत अल...
मेरा बचपन, मेरे सपनों में ही रह गया...! मेरा बचपन, मेरे सपनों में ही रह गया...!
ये सपनों का ‘प्रयास’ है ! ये सपनों का ‘प्रयास’ है !
पगला मन अब भी कहता है, दोस्त ने नहीं पढ़ी वो कहानी थी। पगला मन अब भी कहता है, दोस्त ने नहीं पढ़ी वो कहानी थी।
चाहकर भी न भुला पाऊँ उन लम्हों को जिंदगी की नींव रखकर खुद डूब गए उन बचपन के दिनों को। चाहकर भी न भुला पाऊँ उन लम्हों को जिंदगी की नींव रखकर खुद डूब गए उन बचपन क...
अच्छे भले थे हम उस बचपन के ज़माने में। अच्छे भले थे हम उस बचपन के ज़माने में।
नरम धूप , उतर आती है, छत पर, आंगन में , फैल जाता है, पुखराजी प्रकाश। हवाएं ठुमक कर, गाने लगती ह... नरम धूप , उतर आती है, छत पर, आंगन में , फैल जाता है, पुखराजी प्रकाश। हवाएं ठ...
बेटी की सच्ची दोस्त मॉं ही होती है, मॉं पर लिखीत सुंदर कविता। बेटी की सच्ची दोस्त मॉं ही होती है, मॉं पर लिखीत सुंदर कविता।