देशप्रेम सर्वोपरि
देशप्रेम सर्वोपरि
आखिर झूल गया फांसी पर
हंसते हंसते वो दीवाना।
जान को अपनी देकर उसने
देश को सबसे ऊपर माना।
था वो भगत,बस देश की खातिर
अपना सब कुछ वार दिया।
छोड़ के सारे,अपने पराए
देश से एक बस प्यार किया।
देश को खुद से ऊपर सदा ही
खुद को देशभक्त ही जाना।
आजादी का देखा जो सपना
उसको पूरा करने का ठाना
बचपन से ही आग थी दिल में
झोंक जवानी को भी गया वो।
मरता देखा जो जालियावाला
घूंट जो खून के पी गया वो।
चूम लिया फांसी का फंदा
हंसते हंसते जाने कैसे.।
राजगुरु,सुखदेव भी चल पड़े थे
एक ही रास्ते जाने कैसे।
भारत के हर जन जन को अब
तुम सब के बारे है बताना।
अमर हो गए वह जवान,
जिन्होंने देशधर्म को सर्वोपरि माना।