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Dr. Vikas Kumar Sharma

Children Stories

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Dr. Vikas Kumar Sharma

Children Stories

मित्र हमारे छोटे लाल

मित्र हमारे छोटे लाल

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मित्र हमारे छोटे लाल

करते रहते कोई न कोई कमाल


पिकनिक जाने का प्लान बनाया

चार बजे सबको नहलवाया


कद है छोटा

पेट है मोटा


बुद्धि से हैं मालामाल

पर सिर पर बचे हैं थोड़े से बाल


साईकिल में भर कर हवा

हैंडल पर टांगा कड़ाही व तवा


सिलेंडर को कैरियर पर बांधा

अब तुम चलाओ निशाना साधा


नहीं गिराओगे लिया था वादा

फिर एक बोरा और भी लादा


पीछे से पवन ने धक्का मारा

अमित ने भी दिया सहारा


मैंने पूछा

पिकनिक की क्या वजह है भाई

लगता है कोई लॉटरी निकल आई


बेवजह इकट्ठा किया तामझाम

छोटी-मोटी पार्टी में चल जाता काम


छोटे लाल ने किया धमाल

आखिर उठाया सिक्रेट से रूमाल


अपने जन्मदिन की बात बताई

हम सबने भी दी तुरंत बधाई


तुम सारे हो मेरे मित्र विशेष

थोड़ा रास्ता ही रह गया है शेष


मेरा नाम है छोटे लाल

देखते जाओ मेरा कमाल


हँसी खुशी तुम घर जाओगे

इस पिकनिक को न भुला पाओगे


कच्ची बस्ती में साईकिल रुकवाई

तब जाकर असली बात बताई


हर जन्मदिन पर मैं यहाँ आता

अपने हाथों से हलवा पूरी बनाता


गरीब बच्चों को खाना खिलाता

इस तरह मैं मेरा जन्मदिन मनाता


खुद खुश रहता

और खुशियाँ फैलाता


उसकी बात ने हम सबको हिलाया

आवाज लगाकर उसने हमें बुलाया


गैस सिलेंडर को उसने किया चालू 

बोरी में से निकाले आलू


मित्र हमारा है हमको प्यारा

हमनें भी लगाया खूब सहारा


खटाखट- खटाखट खाना बनवाया

बच्चे-बूढ़े सब में बँटवाया


हम सबने भी चखा प्रसाद

मिट गए मन से कई सारे विषाद


छोटे लाल हैं दिल के सच्चे

तभी हम सबको लगते हैं अच्छे


अब पता चला उनकी प्रसन्नता का राज

हल्के में लेते थे उनका हँसी-मजाक


बुद्धिमान हैं छोटे लाल

यह था उनका सबसे बड़ा कमाल।


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