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Dr. Vikas Kumar Sharma

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अन्नपूर्णा

अन्नपूर्णा

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रविवार से सोमवार, सोमवार से रविवार

एकजुट हो जाते हैं, सारे परिवार


यही होता है सच्चा प्यार,

यही होता है सच्चा प्यार


दीवाली पर जलाते हैं खूब पटाखे

हँसते गाते और ठहाके लगाते


टेंशन-वेंशन, भूल जाते हैं सब

फिर न जाने, इकट्ठे होंगे कब


फोटो में थी एक सुंदर गाय

ग्रुप फोटो खींचने, फोटोग्राफर भैया आए


इस फोटो की कहानी है अजीब

रक्षा बंधन आ रहा था करीब


दिल्ली वाली दीदी थी आई

बच्चों को पसंद थी दूध और मलाई


पापा जी ले आए एक गाय

शुद्ध दूध में बनती सबकी चाय


दीदी ने इसका रखा अन्नपूर्णा नाम

माता जी संभालती 

इसकी साफ-सफाई का काम


देवी-देवताओं का होता गाय में निवास

स्वाद इसके दूध का बहुत ही खास


पहली रोटी खाती हमारी गाय

खीर इसके दूध की मुझे बहुत है भाए


महाराज जी का घर में हुआ था आना

गाय के दूध से बना था खाना


महाराज जी का मन हुआ बहुत ही प्रसन्न

बोले अति स्वादिष्ट बने सारे व्यंजन


महाराज जी बोले, जय अन्नपूर्णा, जय जग माता

गाय की सेवा से, हर जन सुख है पाता


बोले तुम सब हो बहुत ही भाग्यवान

जल्दी ही बन जाओगे तुम सब धनवान


जय हो गऊ माता की नारा लगाओ

गाय की रक्षा की अलख ज्योत जलाओ


प्रेम से बोलो

जय गऊ माता




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