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Dr. Vikas Kumar Sharma

Classics

4  

Dr. Vikas Kumar Sharma

Classics

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार

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यौवन ने जब ली अंगड़ाई

भ्रष्टाचार से लड़ने लगा लड़ाई

घर में अनुशासन और थी कड़ाई

ध्यान में रहती थी मेरे पढ़ाई


बड़ा होकर कुछ समझ में आया

देश मेरा लग रहा था डगमगाया

गरीबी, भूखमरी की खबरें थी आम

अमीरों के ही होते थे काम


भ्रष्टाचार फैला था जबरदस्त

बच्चों की मिठाई का करो पहले बंदोबस्त

तब जाकर फाइलों में आती थी गति

कैसे करें बेईमानों की इति


बच्चे ही करेंगे देश का उत्थान

जा पहुँचा एक शिक्षण संस्थान

क्षेत्र काम का मेरा था व्यापक

दृढ़ निश्चय कर बन गया अध्यापक


मेरे शिक्षक ने भी छोड़ा मुझ पर विशेष प्रभाव है

आज के बच्चों में दिखता संस्कारों का अभाव है


शिक्षक होता बच्चों का आदर्श 

सदा सच बोलो मैं देता यह परामर्श

भ्रष्टाचार से हमेशा तोड़ो नाता

ईमानदारी का मैं उनको पाठ पढ़ाता


बच्चों तुम हो देश का भविष्य 

तुम से देश की पहचान है

अच्छे व सच्चे शिक्षकों का 

जीवन होता नहीं आसान है


सर्दी, गर्मी या कोई मौसम

स्कूल समय से आते हैं

खुद भी रहते हैं अनुशासित

अनुशासन हमें सिखाते हैं


आधुनिक शिक्षा पद्धति सिखा कर

जिसने हमें तैयार किया

देश सेवा के लिए प्रेरित किया

और देश का भविष्य निर्माण किया


अनेकों उदाहरण देकर जिसने

जीवन में अच्छाई सिखलाई

शाबाश वेरी गुड कहकर 

पीठ हमारी हमेशा थपथपाई


चाहे गलती कितनी कर ले

प्यार से हमेशा समझाते हैं

सदा करते हैं प्रेरित

बच्चे भी उनका कहना मान जाते हैं


शिक्षक का जीवन होता साधारण

उनके अच्छे गुणों को सब करो धारण


जीवन में कुछ पाना है तो

शिक्षक का सम्मान करो

शीश झुका कर श्रद्धा से तुम

बच्चों उन्हें प्रणाम करो


मेरा भी उद्देश्य यही था

बड़ा हो एक शिक्षक बनूँ

खूब ज्ञान अर्जित करके

पूरे राष्ट्र को गौरवान्वित करुँ


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