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Aravind Singh

Children

4.8  

Aravind Singh

Children

वो नन्हे - नन्हे पाँव

वो नन्हे - नन्हे पाँव

2 mins
453


जब नन्हे - नन्हे पावों से चल,

पास वो मेरे आते हैंं ।

हौले से कानो में मेरे,

मधुर संगीत सुनते हैं ।

मै कहकहे लगाकर हसता हूँ,

तब दर्द तमाम काफूर हो जाता है ।

मैं खो जाता जब मुस्कानो में, 

वो ध्यान हमें दिलाते हैं ॥ १ ॥


कभी बेवजह वो आँसु छलकाते हैं,

कभी अनायास ही आँखे दिखलाते हैं ।

पर वो आँसू भी प्यारी लगते हैं,

और ज़िद भी न्यारी लगती हैं ।

जब वो खिलखिला कर हसते हैं,

तब घर जीवंत बन जाता है ॥ २ ॥


जब वो नन्हे - नन्हे हाथो से, 

प्लाटिक के बने खिलौनो में ।

झट चाय बना के लाते हैं, 

मै अभिभूत हो जाता हूँ ।

मै मंत्रमुग्ध उन्हें निहारता हूँ ॥ ३ ॥


झूठे पकवानो को जब खाना पड़ता,  

और फिर उसका स्वाद भी बताना पड़ता ।

सर्त भी इनका बड़ा निराला,

स्वाद सभी का हैं अच्छा ही बताना ।

पकवान भले ही हो झूठे, 

पर प्यार हैं उनका सच्चा सोना ॥ ४ ॥


जब वो ज़िद पर अड़ जाते हैं,

जब नासमझ बन जाते हैं।

फिर उल्टा हमें सिखाते,

झूठे ही रोते बिलखाते।

और अपना हक़ हैं दिखलाते, 

तब हमें ही झुकना पड़ता हैं ।

तब हमें ही रुकना पड़ता हैं, 

रुकते ही वो खिलजाते,

फिर कलियों सी मुस्काते हैं ॥ ५ ॥


कभी हम उन्हें तो कभी वो हमें सिखाते,

हम पिता हैं उनके पर वो हैं गुरु हमारे ।

फर्क हमदोनो में बहुत हैं प्यारे,

जब पिता बताये लौकिक बातें ।

तब गुरु दिखाए अलौकिक नाते ॥ ६ ॥


प्यारी प्यारी बोली वो बोले,

कानो में मधुर संगीतो को घोलें ।

धीरे - धीरे पाँव दबाके,

जब वो कोने में कही छिप जाते ।

मेरे ढूढने को तब वो तरसतें,

मौका देख जब खुद ही आ जाते ।

आकर हमें वो खूब हर्षाते,

फिर वो अपनी बातो में खो जाते ॥ ७ ॥


जाने क्या - क्या बात बताते,

नयी नयी ख्वाबो को दिखलाते।

चाँद तारे भी घर ही ले आते,

मन्त्र्मुग्ध कर खूब इतराते ।

ख़ुशिओ की सौगाते भी लाते,

खेल खेल में पाठ पढ़ाते ॥ ८ ॥


हसते इतराते संगीत सुनते,

बर्तमान में ही जीने की राह दिखते ।

कुछ भी जग में नहीं हैं स्थिर,

हमको वो ये पाठ पढ़ाते ।

गिरते उठाते फिर दौड़ लगते, 

दौड़ लगाकर ख़ुश हो जाते ।

हमें जीवन की मर्म समझते,

खुद सतरंगी सपनो में खो जाते ॥ ९ ॥



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