जिंदगीभर दौड़ता आदमी
जिंदगीभर दौड़ता आदमी
जन्म होते ही रुलाया डॉक्टर की थपाट ने;
और फिर पूरी जिंदगी; जिंदगी की रेस ने !
पढ़ाई चली जब तक मार्क्स लाने की होड़;
फिर अच्छी नौकरी पाने की दौड़, लगा
मुश्किल से नंबर नौकरी में तो थी
अच्छी लड़की पाने के लिए भाग दौड़ !
उसके बाद सात फेरे के चक्कर ने
दिलाएं मुझे इतने चक्कर ! अब
ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने में,
मैं हुआ थक के लोटपोट !
कौटुंबिक जरूरियात पूरी करने की
नहीं थी समझ पर अब पड़ी फोड !
३-४ साल के बाद बच्चों को अच्छी
शाला में एडमिशन दिलाने की
लगी थी दौड़ ! थोड़े बड़े क्या हुए ?
ट्यूशन क्लास की भारी-भरखम फीस,
यह रेस मे उनको सेट करने की तोड़-मरोड़ !
पढ़ाई की फैक्ट्री में लेबल क्या लगा
ग्रेजुएट का ? अब कहां लगाएं सिफारिश
और कहां-कहां करें जोडम जोड ?
फिर वही चक्कर भाई, अब तो छोड़ !
